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हास्य-व्यंग्य >> फ्री हिट

फ्री हिट

मृदुल कश्यप

प्रकाशक : सामयिक प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2010
पृष्ठ :159
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 7934
आईएसबीएन :978-81-908095-9

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‘फ्री हिट’ की रचनाएं न सिर्फ हँसाएंगी, भारतीय जन-जीवन और समय को देखने वाली एक खास नजर भी उपलब्ध कराएंगी।

Free Hit - A Hindi Book - by Mridul Kashyap

मध्यप्रदेश व्यंग्यकारों की दृष्टि से यूं तो खासी उर्वरा भूमि है, लेकिन व्यंग्य में फ्री हिट लगाने वाले मृदुल कश्यप की बात ही कुछ और है। वह छोटे-छोटे वाक्यों में उन दृश्यों को बांधकर व्यंग्य रचते हैं जिन्हें हम देखकर भी उतनी बारीकी से परख नहीं पाते।

‘पुतला थेरेपी’ हो या ‘मिस पालनपुर भ्रमण पर’, ‘राजनीति में कीचड़ का महत्त्व’ हो या ‘गांव की ओर’, ‘बल्ला खड़ा बाजार में’ हो या ‘भूतों का वैश्वीकरण’ मृदुल का व्यंग्यकार अतिविस्तार में न जाकर हँसते-हँसाते हुए व्यंग्य की चुभन भी दे जाता है। उसे लादेन का ताजा कैसेट समझने में भी मजा आता है और संगीत के पहलवानों से मिलने में भी। वह ‘वैष्णवी की फिसलन’ के बहाने बाजार की नीयत का पर्दाफाश करते हैं तो ‘व्हाट एन आइडिया सरजी’ के बहाने व्यवस्था का।

अपने सहित, अपने आसपास और समाज को देखने-समझने के उनके भाषिक औजार समझ में तो आते ही हैं, माहौल को सहज बनाते हुए विचार के सूत्र भी दे जाते हैं। वह नए से नए प्रयोगों में भी आकर्षित करने की क्षमता रखते हैं।
‘फ्री हिट’ की रचनाएं न सिर्फ हँसाएंगी, भारतीय जन-जीवन और समय को देखने वाली एक खास नजर भी उपलब्ध कराएंगी।

पुतला थेरेपी


पाश कालोनी में बंगला। बाहर कारों की लंबी लाइन लगी थी। बेकाबू भीड़, रेलम-पेल, धक्कम धक्का मचा हुआ था।

भाई के गेस्ट रूम में आते ही सोफे पर बैठे नेताजी ने तुरंत उठकर वंदना की–‘‘जिनके एक हाथ में तमंचा और दूसरे हाथ में रामपुरी सुशोभित है, कानून जिनकी जेब में है, ऐसे भाई जी को मैं प्रणाम करता हूं। परंतु भाई साहब, एक बात सच्ची-सच्ची बतलाएगा! कोई नाराजी है क्या हमसे?’’
‘‘अरे नहीं नहीं। ऐसी कोई बात नहीं है।’’

‘‘तो बतलाइए, मेरा नंबर कब आएगा? कब से इंतज़ार कर रहा हूं कि एक दिन आएगा जब आप सहर्ष घोषणा करेंगे कि कल बीच बाजार में, दिनदहाड़े मेरा पुतला दहन करेंगे और आप हैं कि ध्यान ही नहीं देते…।’’ कहते-कहते उनका कंठ अवरुद्ध हो गया। पास रखी बोतल से एक घूंट गले में उतार कर बोले–संतासिंह लकी रहा, बंतासिंह को भी चांस मिल गया पर मेरा…! विशेषज्ञों का कहना है कि जो पब्लिसिटी बीस साल की नेतागिरी न दिला सकी वह एक पुतला दहन दिलवा सकता है। इसलिए आपके दर पर झोली फैलाए आया हूं।’’

‘‘सुनिए। आप वैसे ही मेरे साले की सिफारिश लेकर आए, वरना महीनों बाद का नंबर मिलता। इसलिए मैं ज्यादा तो कुछ नहीं कह सकता पर मुझे कई बार यह सोचकर कोफ्त होती है कि आपको बीस साल हो गए इस लाइन में। एक भी ऐसा काम नहीं किया कि पुतला जलाया जा सके। बड़े शर्म की बात है। मैंने कई बार आपके नाम पर विचार किया पर एक आध पुतला ही जस्टीफाई नहीं होता। आप डिजर्व ही नहीं करते जनाब! हमें भी तो कुछ स्टैंडर्ड मेंटेन करना होता है कि नहीं। यूं तो इस धंधे में कई लोग हैं पर सोचिए कि मेरे यहां ही हमेशा भीड़ क्यों रहती है?’’

भाईजी के तेवर देखकर नेताजी ने पुनः वंदना की–‘‘राजनीति के भवसागर में फंसे तुच्छ जीवों को पुतला थेरेपी से पार कराने वाले विघ्नहर्ता भाईजी मुझे अपनी शरण में लेकर में मुक्ति का मार्ग बतलाएं ताकि मैं भी इस छुटभैये की योनि से निकलकर फायरब्रांड स्टार नेता बन सकूं। मैं यथाशक्ति आपकी पूजा करूँगा।’’

तब भाईजी ने उन्हें इमेज चमकाने की गोपनीय तरकीब बतलाते हुए कहा–‘‘सर्वप्रथम आप डैशिंग बनिए। आपकी भाषा सादी नहीं होनी चाहिए। बेकाबू हो। तल्ख, लगभग गालियों भरी। जबान ऐसी हो कि आग लगवा दे। उल्टी सीधी, बेसिर पैर की बातें करें तो सोने पे सुहागा। विवादित विषय ढूंढ़कर जमकर कीचड़ उछालें। पुराने गड़े मुर्दे भी उखाड़ सकते हैं। अभी हाल ही में रिलीज हुई ‘जोधा अकबर’ पर आप चूक गए, पर चिंता की कोई बात नहीं है। अनेक अवसर आपकी बाट जोह रहे हैं। आप तो सदाबहार विषय जैसे जाति, प्रदेश, धर्म आदि को ले लें। ये जल्दी आग पकड़ते हैं। साथ में अभिनेता, नेता, खिलाड़ी आदि का भी तड़का लगा दें। फिर देखिए आपकी मेहनत क्या रंग लाएगी। कैनवास बड़ा है बस रंग भरना आना चाहिए। फिर दीजिए हमें अपनी सेवा का अवसर।’’

यह गुप्त विधि सुनकर नेताजी की सुषुप्त इंद्रियां जाग उठीं और वे कमर कसकर खड़े हो गए। फिर वे व्यवस्था को गाली बकते, सौहार्द्र की रीढ़ तोड़ते, समाज की ऐसी कम तैसी करते, व्यवस्था छिन्न भिन्न करने निकल पड़े। और भाई चल दिए दूसरे भक्तों का कष्ट हरने।

मिस पालनपुर भारत भ्रमण पर


शहर की मुख्य सब्जी मंडी से निकलकर मेन रोड पर खरामा-खरामा चलती गौरी गाय सामने ‘केट-वॉक’ करती शन्नो गाय को देखकर यातायात तिराहे पर छतरी के भग्नावशेष पर ठहर गई। दो गायों के ऐन तिराहे पर रुकने से यातायात प्रबंधन स्वचालित हो गया, जिसका फायदा उठाकर वहां तैनात पुलिस जवान जनेऊ कान पर लपेटता प्राकृतिक वेग शांत करने पतली गली में घुस गया।

‘‘अरे कहां जा रही हो माई बेस्ट फ्रेंड।’’ शन्नो ने पूछा।
‘‘मैं तो तुझे ही ढूंढ रही थी। ले मूली खा।’’ कहकर गौरी ने सब्जी मंडी से झपटी मुंह में दबाई मूली को शन्नो के आगे कर दिया।
‘‘वाह…कितनी टेस्टी है। तुझे ताजे-बासी की खूब पहचान है।’’ शन्नो मूली खाते हुए बोली। फिर दोनों वहीं खड़ी हो कर बातें करने लगीं। गायों को देखकर कल्लू सांड ने आवाज लगाई–‘‘हाय गायस…क्या कर रही हो।’’

‘‘हैलो!’’ दोनों बोलीं, ‘‘आज चौक में गंगू बैल पान की दुकान पर टी.वी. देख रही थी तब न्यूज में मालूम पड़ा कि ‘मिस पालनपुर’ आ रही हैं। इसलिए हम बड़े चौक जा रहे हैं।’’
‘‘यह मिस पालनपुर कौन है?’’ पास खड़े राजपाल बैल ने पूछा।

‘‘रोज तो कई बार टी.वी. पर आ रहा है कि ‘बिग बी’ की गाय ‘राधा’ ने ‘मिस पालनपुर’ का ताज पहना है। अब यह मत पूछ बैठना कि ‘बिग बी’ कौन हैं।’’ शन्नो व्यंग्य से हँसते हुए बोली।
सभी चौक की तरफ चल पड़े। चूंकि यह खबर पूरे शहर में आग की तरह फैल गई थी इसलिए चौपाया प्रजाति के सभी पशु चौक की तरफ सच्चाई जानने आ रहे थे।

मुख्य चौक पर भीड़ बढ़ती देख कर ट्रैफिक जवानों ने बुद्धिमत्तापूर्वक निर्णय लेते हुए ट्रैफिक को पतली गली में से निकालना शुरू कर दिया। एक-दो अनुभवहीन जवानों ने जब लीक से हटकर ‘दुस्साहस’ करते हुए उन्हें भागने की कोशिश की तो कल्लू ने रौद्र रूप दिखाते हुए उन्हें छठी का दूध याद दिला दिया। बेचारों ने दुकानों के अंदर शरण लेकर जैसे-तैसे जान बचाई। यह देखकर कई कमसिन गायों के मुंह से निकल पड़ा–‘‘हाय, क्या गबरू जवान है…बिलकुल सल्लू जैसा…।’’

चौक पर शन्नो ने नंदिनी मौसी से पूछा–‘‘क्या करने आ रही है मिस पालनपुर?’’
‘‘वही जो हर मिस वर्ल्ड करती है। एड्स के प्रति जागरुकता पैदा करने, एड्स पीड़ितों से मिलने, एड्स से लड़ने के हथियार बिंदास बोल का प्रचार…आदि।’’ नंदिनी बोली–‘‘मालूम पड़ा है कि ‘मिस पालनपुर’ दोपहर को एरोड्रम आ रही है। वहां से सीधे नए शॉपिंग मॉल में कार्यक्रम स्थल पर जाएगी। फिर शाम को वापस एरोड्रम।’’

‘‘तब तो हमें एरोड्रम और कार्यक्रम स्थल दोनों जगह अपना प्रतिनिधि मंडल भेज कर उन्हें बताना चाहिए हम भी उनका सम्मान करना चाहते हैं।’’ गौरी बोली।
‘‘पर इससे हमें क्या फायदा होगा।’’ धन्नो भैंस बोली।
‘‘अरे बुद्धू। इससे लोकल एडमिनिस्ट्रेशन को यह संदेश जाएगा कि हमारी पहुंच ऊपर तक है। अभी तो वह हमें आवारा पशु से ज्यादा कुछ नहीं समझता।’’ गौरी ने समझाया।

बहरहाल काफी हॉट डिस्कशन के बाद प्रतिनिधि मंडल चुना गया। जो नियत तिथि पर एरोड्रम और शॉपिंग मॉल चल पड़े। एरोड्रम पर क्रीमीलेयर की गायों का झुंड पहले से ही मौजूद था। प्रतिनिधिमंडल ने मिस पालनपुर से एरोड्रम और शॉपिंग मॉल में मिलने की बहुत कोशिश की पर कोई सफलता हाथ न लगी।

उधर चौक पर स्वागत की जोरदार तैयारियां की गई थीं। स्वागत मंच, हार-फूल, तोहफा, यादगार चिह्न, खाद्य पदार्थ…पर उपस्थित चौपायों को जब यह खबर लगी कि मिस पालनपुर नहीं आ रही हैं सब ठंडे पड़ गए। वे सब मिलकर मिस पालनपुर और क्रीमीलेयर को कोसने लगे।

अचानक एक दृश्य को देखकर सभी की आंखे फटी की फटी रह गईं। दृश्य ही कुछ ऐसा था। दरअसल सामने से मिस पालनपुर कल्लू सांड के साथ चली आ रही थी। उसके पास आते ही भगदड़ मच गई। हर कोई मिस पालनपुर की एक झलक पाने को उतावला हो उठा।
‘‘आपने यह चमत्कार कैसे किया कल्लू जी।’’ गौरी ने धीरे-से कल्लू से पूछा।

‘‘अपुन कहिच रहा था कि टेंशन नहीं लेने का। यह तो एकदम ईजी था। बस थोड़ा-सा माइंड लगाने का था। किसी को पटाना हो तो घास तो डालनी पड़ेगी ना। मिस पालनपुर का स्वागत मंच आवारा पशु नियंत्रण ऑफिस के पास था। वहां तो अपना परमानेंट ठिया है। जैसे ही मिस पालनपुर मंच पर आईं अपुन ने इंपोर्टेड चाकलेट का एक बिग बाक्स उन्हें दिखलाया। उन्होंने आने के लिए झट हां कर दी।

‘‘यू आर जीनियस कल्लू।’’ गौरी बोली–‘‘आज आप जैसे सांड़ों की ही हमारे देश को जरूरत है।’’

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